अकबर और उनके धार्मिक विचारों पर एक अध्ययन
Author(s): डॉ. रितेश चन्द्र भारती
Abstract: अकबर के शासनकाल का विस्तृत वर्णन उनके दरबारी इतिहासकार अबुल फजल ने अकबरनामा और ऐन-ए-अकबरी पुस्तकों में किया है। अकबर के शासनकाल के अन्य समकालीन स्रोतों में बदायुनी, शेखजादा रशीदी और शेख अहमद सरहिंदी की कृतियाँ शामिल हैं। अकबर एक कारीगर, योद्धा, कलाकार, कवचधारी, लोहार, बढ़ई, सम्राट, सेनापति, आविष्कारक, पशु प्रशिक्षक (प्रसिद्ध रूप से अपने शासनकाल के दौरान हजारों शिकार चीतों को रखते थे और कई लोगों को स्वयं प्रशिक्षित करते थे) फीता बनाने वाले, प्रौद्योगिकीविद् और धर्मशास्त्री थे। डिस्लेक्सिक माने जाने वाले, उन्हें रोज पढ़ा जाता था और उनकी याददाश्त उल्लेखनीय थी।
कहा जाता है कि अकबर एक बुद्धिमान सम्राट और चरित्र के एक अच्छे न्यायाधीश थे। उनके बेटे और उत्तराधिकारी, जहांगीर ने अपने संस्मरणों में अकबर के चरित्र की प्रभावशाली प्रशंसा की, और उनके गुणों को स्पष्ट करने के लिए दर्जनों किस्से लिखे।
अकबर की धार्मिक नीति और हिंदुओं के प्रति उनके व्यवहार ने कलह और कड़वाहट को ठीक किया और सद्भाव और सद्भावना का वातावरण पैदा किया जहां सबसे अधिक कष्टप्रद चरित्र की नस्लीय और धार्मिक शत्रुता थी।
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How to cite this article:
डॉ. रितेश चन्द्र भारती. अकबर और उनके धार्मिक विचारों पर एक अध्ययन. Int J Hist 2024;6(1):88-93.