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International Journal of History

2024, Vol. 6, Issue 1, Part A

पूर्व मध्यकालीन उत्तर भारत का राजनीतिक परिदृश्य


Author(s): डाॅ. विनोद यादव

Abstract:
‘पूर्व मध्यकाल’ शब्द प्राचीन काल तथा मध्यकाल के अंतर्वर्ती काल का सूचक है। भारतीय इतिहास में लगभग 650 ई0 से 1200 ई0 तक के समय को ‘पूर्व मध्यकाल’ कहा जाता है। पूर्व मध्यकालीन समाज में एक विशेष वर्ग का उदय हुआ, जिसे ‘सामन्त’ कहा जाता था। यह समाज का सबसे शक्तिशाली वर्ग था। सम्राट हर्ष की मृत्यु के पश्चात उत्तर भारत छोटे-छोटे राज्यों में बँट चुका था। हर्ष के बाद उत्तर भारत में जिन शक्तियों का उदय हुआ, उन्हें राजपूत शासक की संज्ञा प्रदान की जाती है। पूर्व मध्यकाल में उत्तर भारत पर जिन राजपूत राजवंशों ने शासन किया, उनके नाम इस प्रकार हैं-कन्नौज का साम्राज्य, गुर्जर-प्रतिहार वंश, गहड़वाल वंश, पाल एवं सेनवंश, चैहान वंश, चालुक्य या सोलंकी वंश, हिन्दूशाही राज्य, चन्देल वंश, कश्मीर के राजवंश, मालवा का परमार वंश, कलचुरि चेदि वंश, मेवाड़ का राजवंश आदि। भारतीय इतिहास के इसी काल में भारत पर अरबों और तुर्कों का आक्रमण हुआ और अंततः तुर्कों ने विजयश्री को प्राप्त किया। तुर्कों के विजय प्राप्त करने और उनकी सत्ता स्थापित होने के साथ ही पूर्व मध्यकाल की समाप्ति होती है और भारतीय इतिहास में मध्यकाल की शुरुवात मानी जाती है।


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How to cite this article:
डाॅ. विनोद यादव. पूर्व मध्यकालीन उत्तर भारत का राजनीतिक परिदृश्य. Int J Hist 2024;6(1):28-32.
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